चंद्रयान की नई उड़ान। आज लॉन्च किया जाएगा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 भारत और इसरो का एक महत्वकांक्षी चंद्र मिशन है, जो चंद्रमा पर एक लैंडर और रोवर को भेजेगा। यह मिशन चंद्रयान-2 के बाद होगा, जो 2019 में विफल हो गया था। चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज करना है। इसके अलावा, यह मिशन चंद्रमा के भूविज्ञान और खनिजों का अध्ययन भी करेगा।

चंद्रयान-3 में तीन मॉड्यूल होंगे:

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन LVM-3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-3 का भार लगभग 3,800 किलोग्राम होगा।

  • प्रोपल्शन मॉड्यूल: यह मॉड्यूल चंद्रयान-3 को अंतरिक्ष में ले जाएगा और चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करेगा। इसका वजन 2148 kg है।
  • लैंडर मॉड्यूल: यह मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और रोवर को सतह पर उतारेगा। इसका वजन 1752 kg है।
  • रोवर: 6 पहिए वाला यह रोवर ‘प्रज्ञान’ चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और पानी और खनिजों की खोज करेगा।

चंद्रयान-3 का मिशन सफल होने पर यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। यह भारत को अंतरिक्ष में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

Chandrayaan 3 Journey:- चंद्रयान 16 मिनट में पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक पहुंच जाएगा
इसमें क्रॉयोजनिक इंजन लगा है जिसके स्टार्ट होने के बाद रॉकेट की रफ्तार 36,968 किमी प्रति घंटे हो जाएगी. लॉन्चिंग के 16 मिनट बाद ये पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाएगा और धीरे-धीरे अपना ऑर्बिट बढ़ाकर चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा.

चंद्रयान-3 के प्रमुख तथ्य

  • मिशन का नाम: चंद्रयान-3
  • लॉन्च: 14 जुलाई, 2023
  • रॉकेट: LVM-3
  • भार: 3,800 किलोग्राम
  • मॉड्यूल: प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल, रोवर
  • उद्देश्य: पानी की खोज, भूविज्ञान और खनिजों का अध्ययन
  • सफलता होने पर: भारत को अंतरिक्ष में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

चंद्रयान-3 में क्या खास है:

The Indian Space Research Organisation (ISRO) ने चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर को वही नाम दिए हैं जो चंद्रयान-2 में दिए गए थे। लैडर का नाम ‘विक्रम’ और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ है।

■ ISRO ने चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किए हैं। अगर इसमें कोई खराबी आई तो भी यह काम करेगा।

■ इसके रोवर को ऐसे तैयार किया गया है कि यह खुद को खतरनाक जगहों से बचा सके।

■ यह चंद्रयान-2 की क्रैश साइट से करीब 100 km दूर एक लैंडर को तैनात करेगा जो चांद के टेंपरेचर, भूकंप और सोलर विंड की जानकारी जमा करेगा।

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